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गंगा नदी की असली कहानी : उत्पत्ति एवं मान्यताएं 

गंगा नदी का उद्गम हिमालय की गढ़वाल पर्वत श्रृंखला में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख क्षेत्र से होता है। यह क्षेत्र भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गंगोत्री धाम, जो इस उद्गम स्थल के निकट स्थित है, हिंदू धर्म में एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। गंगा कई सहायक नदियों, जैसे यमुना, कोसी, गंडक और घाघरा से मिलकर एक विशाल नदी प्रणाली का निर्माण करती है। गंगा नदी भारत और बांग्लादेश से होती हुई बंगाल की खाड़ी में समाहित होने से पहले  2510 किलोमीटर की लम्बी दूरी तय करती है l यह उत्तराखंड में हिमालय से प्रवाहित  होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती  है l 

गंगा नदी की असली कहानी : उत्पत्ति एवं मान्यताएं :

गंगा नदी की उत्पत्ति कैसे हुई : पौराणिक कथाएं 

राजा बलि और भगवान विष्णु से जुडी कथा 

गंगा के उद्गम की पौराणिक कथा भारतीय ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है। कथा के अनुसार, जब राजा बलि ने स्वर्गलोक पर अपना आधिपत्य जमाने का प्रयास किया, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर तीन पग भूमि दान में मांगी। पहले पग से उन्होंने संपूर्ण पृथ्वी, दूसरे पग से समस्त आकाश नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए कोई स्थान शेष नहीं बचा, तो राजा बलि ने अपना शीश समर्पित कर दिया और पाताल लोक में चले गए। उसी समय, भगवान विष्णु के चरण जल से ब्रह्मा जी ने गंगा को अपने कमंडल में धारण किया, जिससे गंगा की उत्पत्ति हुई। 

राजा भगीरथ और गंगा की कहानी :

गंगा के धरती पर अवतरण की कथा राजा भगीरथ से जुड़ी हुई है। राजा सगर के 60,000 पुत्र कपिल मुनि के शाप से भस्म हो गए थे और उनकी आत्मा की शांति के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने की आवश्यकता थी। भगीरथ की घोर तपस्या के पश्चात, भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समाहित कर उनकी तीव्र धारा को नियंत्रित किया और धीरे-धीरे धरती पर प्रवाहित किया। इस कारण, गंगा को ‘भगीरथी’ भी कहा जाता है। 

भारत के इन राज्यों और शहरों से बहती है गंगा नदी:

उत्तराखंड के देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा का मिलन होता है, जहां से यह फिर गंगा नदी कहलाती है l गढ़वाल और ऋषिकेश से होते हुए हरिद्वार से निकलती है l हरिद्वार ऐसा पहला स्थान है जहां गंगा नदी पहली बार मैदानी इलाकों में प्रवेश  करती है l 

उत्तर प्रदेश में इसका आगमन नरोरा, फर्रुखाबाद, कानपुर, प्रयागराज ,वाराणसी से होते हुए गाजीपुर की तरफ होता है l 

इसके बाद बिहार में यह नदी चौसा, बक्सर, पटना, मुंगेर, सुल्तानगंज, भागलपुर होते हुए मिर्जा चौकी से बहती है l झारखंड के साहिबगंज महाराजपुर और राजमहल भी इसके रास्ते में आते हैं l 

अंत में पश्चिम बंगाल में फरक्का, रामपुरहाट, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद ,कोलकाता ,एवं गंगासागर जैसी जगहों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में विलीन  होती है l 

गंगा नदी का महत्व 

गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और जीवनशैली का अभिन्न अंग है। इसका जल पवित्र माना जाता है और इसमें स्नान करने से पापों से मुक्ति की मान्यता है। इसके साथ ही, गंगा का पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व भी अत्यधिक है, क्योंकि यह उत्तर भारत के विशाल भूभाग को सिंचित करती है और अनेक नगरों एवं कृषि क्षेत्रों के लिए जल का प्रमुख स्रोत है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में गंगा नदी को जीवनदायनी एवं मोक्षदायिनी माना गया है l

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